नई दिल्ली: 2019 चुनाव क़रीब आते ही कई पत्रकारों की राजनीति में आने की चर्चा शुरू हो गई है. एक ख़बर के मुताबिक़ जाने-माने न्यूज़ एंकर असित नाथ तिवारी भी जल्द ही राजनीति की पारी शुरू कर सकते हैं.
असित नाथ तिवारी हमेशा से एक सत्ता विरोधी पत्रकार रहे हैं. यूपी-उत्तराखंड के रीज़नल चैनल में रहते हुए असित ने पूर्व की अखिलेश यादव सरकार के कई फ़ैसलों और योजनाओं की ज़मीनी पड़ताल की और सरकार की जन-विरोधी नीतियों की जमकर खिंचाई कर चुके हैं. माना जाता है कि यूपी में अखिलेश सरकार के ख़िलाफ़ माहौल बनाने में असित नाथ के शो की बड़ी भूमिका रही. बाद में केन्द्र में आई मोदी सरकार के लिए भी असित नाथ का वही रुख जारी रहा.
असित नाथ वैसे पत्रकारों में शामिल हैं जो लगातार मोदी सरकार की नीतियों और बीजेपी के सियासी नज़रिए की आलोचना करते रहे हैं. असित नाथ बीजेपी के निशाने पर रहें, ये बात तब खुलकर सामने आई, जब उनके लाइव शो के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने उन्हें फ़ोन पर अपशब्द बोले थे.
ख़बर है कि असित नाथ का ये जुझारूपन कांग्रेस के एक बड़े नेता को पसंद आ गया है और उन्होंने बिहार की राजनीति में असित को उतरने का ऑफ़र दे दिया है.
असित नाथ बिहार के पश्चिम चंपारण ज़िले में बेतिया शहर के रहने वाले हैं और वहां के बीजेपी सांसद डॉ. संजय जायसवाल के मुखर विरोधी हैं.
माना जाता है कि पश्चिमी चंपारण के ज़्यादातर नेता चाहे वो किसी पार्टी के हों, सांसद से ठेकेदारी लेते रहते हैं, लिहाज़ा वो अलग-अलग पार्टियों में रहते हुए भी सांसद का विरोध नहीं कर पाते हैं. जबकि असित नाथ लगातार सांसद के ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए हैं.
बता दें कि कांग्रेस अब यूपी और बिहार में दूसरों की शर्तों पर राजनीति करने वाले हालात से खुद को बाहर निकालना चाहती है. ऐसे में पार्टी एक-एक सीट पर अच्छे उम्मीदवार उतारने की कोशिश में है.
ख़बर है कि एक एजेंसी की रिपोर्ट और पार्टी की आंतरिक रिपोर्ट के बाद राहुल गांधी के बेहद ख़ास और पार्टी के एक राष्ट्रीय स्तर के नेता ने असित नाथ से कई चरण की बात कर ली है. और जल्द ही उन्हें चुनावी मैदान में उतारने की बाक़ायदा पार्टी की ओर से ऐलान कर दिया जाएगा.
असित की छवि भी बेहतर है और पारिवारिक पृष्ठभूमि का फ़ायदा भी उन्हें मिल सकता है. असित ने पश्चिम चंपारण में पढ़ाई भी की है और पत्रकारिता की शुरुआत भी वहीं से की है. यहां ये छात्र राजनीति में भी काफ़ी सक्रिय रहे हैं. छात्र राजनीति से पत्रकारिता में आए असित बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं.
