BeyondHeadlines News Desk
सिंगरौली : महान संघर्ष समिति ने घोषणा किया है कि वे लोग पर्यावरण व वन मंत्रालय के द्वारा दूसरे चरण का पर्यावरण क्लियरेंस देने के बावजूद महान जंगल को एस्सार द्वारा कोयला खदान के लिए खत्म नहीं होने देंगे. वीरप्पा मोईली द्वारा यह क्लियरेंस सदियों से अपनी जीविका के लिए महान जंगल पर निर्भर लोगों के अधिकारों को रौंद कर दिया गया है.
अब यह लड़ाई सत्याग्रह का रुप लेगा. इस लड़ाई में स्थानीय ग्रामीण और महान संघर्ष समिति के सदस्य मिलकर दूसरे चरण के पर्यावरण क्लियरेंस का मज़बूती से विरोध करेंगे.
महान संघर्ष समिति के सदस्य और अमिलिया निवासी विरेन्द्र सिंह ने कहा कि “हमलोग वह सब करेंगे जिससे हमारा जंगल बच सके. हमलोग अपने जंगल को कटने नहीं दे सकते. यह हमारा घर है.”
आगामी 27 फरवरी को महान संघर्ष समिति द्वारा अमिलिया गांव में आयोजित जनसम्मेलन में सत्याग्रह के बारे में विस्तार से घोषणा की जाएगी. इस जनसम्मेलन में 12 से 14 गांवों के हजारों लोगों के जुटने की उम्मीद है.
महान कोल ब्लॉक महान कोल लिमिटेड (एस्सार व हिंडाल्को का संयुक्त उपक्रम) को आवंटित किया गया है. 12 फरवरी को वीरप्पा मोईली ने इसे दूसरे चरण पर्यावरण क्लियरेंस दे दिया है. जंगल में इस प्रस्तावित खदान के खुलने से करीब पांच लाख पेड़ों तथा 54 गांवों में रहने वाले हजारों लोगों की जीविका खत्म हो जायेगी.
शुरुआत में महान जंगल को पर्यावरण मंत्रालय ने नो-गो जोन में डाला था. मोईली से पहले के पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश तथा जयंति नटराजन ने इस कोल ब्लॉक का विरोध किया था. मोईली ने बड़े ही आसानी से केन्द्रीय जनजातीय मंत्री केसी देव को भी नजरअंदाज कर दिया, जिन्होंने जून 2013 में मघ्यप्रदेश के मुख्यमंत्री तथा राज्यपाल को पत्र लिखकर इस क्षेत्र में हो रहे वनाधिकार कानून के उल्लंघन की तरफ ध्यान दिलाया था.
महान कोल ब्लॉक सीबीआई की जांच के दायरे में भी है क्योंकि कोल ब्लॉक के आवंटन के तरीकों पर सवाल उठ रहे हैं. शुरुआत में राज्य सरकार द्वारा इस कोल ब्लॉक को एस्सार को देने का विरोध किया था और फिर सिर्फ तीन महीने के भीतर उसने अपना पाला बदल लिया. इसके बावजूद एस्सार ने स्पीडी पर्यावरण क्लियरेंस के लिए बेशर्मी से सरकार पर दबाव बनाए रखा.
महान संघर्ष समिति की कार्यकर्ता व ग्रीनपीस अभियानकर्ता प्रिया पिल्लई ने कहा कि “हमलोग एक विकृत लोकतांत्रिक व्यवस्था में रह रहे हैं, जहां पैसा, शक्ति से हजारों लोगों के अधिकारों को रौंदा जाता है और उन्हें असहाय छोड़ दिया जाता है, लेकिन हमलोग इस बार ऐसा नहीं होने देंगे. महान का संघर्ष ऐतिहासिक होगा. महान की जनता दुनिया को बता देगी कि पैसा और शक्ति से अब लोगों के अधिकार को नहीं खत्म किया जा सकता.”
22 जनवरी को ग्रीनपीस तथा महान संघर्ष समिति ने एस्सार के मुंबई स्थित मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया था तथा मोईली द्वारा जल्दबाजी में उद्योगों के पक्ष में दिए जा रहे निर्णय पर सवाल उठाया था. एस्सार ने ग्रीनपीस और महान संघर्ष समिति के ग्रामीणों पर 500 करोड़ का मानहानि तथा चुप रहने का मुक़दमा किया है.
महान संघर्ष समिति के कार्यकर्ता कृपानाथ कहते हैं कि “सभी बाधाओं के बावजूद हमलोग अपने संघर्ष की तरफ ध्यान दे रहे हैं. महान जंगल में हम सदियों से रह रहे हैं. कोई भी हमारे जंगल को खत्म नहीं कर सकता.”