India

लूट की दास्तान —7…

अब तक आप ‘लूट की दास्तान’ की छह किस्त पढ़ चुके हैं. अब पढ़िए आगे…

(नोट: अगर आपने पहले की कोइ भी किस्त नहीं पढ़ी है तो पहले उसे पढ़ लीजिए…)

लूट की दास्तान —1…

लूट की दास्तान —2…

लूट की दास्तान —3…

लूट की दास्तान —4…

लूट की दास्तान —5…

लूट की दास्तान —6…

अखिलेश दास गुप्ता ने इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक को लूटने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी. बैंक के पैसों से खरीदे करोड़ों के शेयरों को भी अखिलेश दास ने हजम कर डाला. यहीं नहीं बैंक तक ने दरियादिली दिखाते हुए अपने निजी खाते से करोड़ों की भारी रकम अखिलेश दास की कंपनी को रेवड़ी की तौर पर दे दी.

वर्ष 2000 में पत्नी अलका दास के चेयरमैन रहते अखिलेश दास गुप्ता ने एचडीएफसी बैंक के साथ मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक के डीमैट खाता संख्या 1201320100000982 से ब्रोकर संचिता शेयर्स प्रा.लि. चैक लखनऊ व सेंचुरी कंसल्टेंट के जरिए 50 करोड़ की इक्विटी अर्थात शेयर खरीदे.

उसके बाद इन शयेरों को भुनाकर करीब 50 करोड़ की रकम अपने पास रख ली, जबकि अखिलेश दास को यह रकम बैंक को देनी चाहिए थी. बैंक के पैसे से शेयर नहीं खरीदे जा सकते. यह आरबीआई के दिशा-निर्देशों में साफतौर पर दिया हुआ है.

यहीं नहीं आरबीआई तक ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में कहा है कि इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक ने अपने एचडीएफसी बैंक के खाता संख्या 38 से 14.8.2000 को पांच करोड़ व 19.8.2000 को तीन करोड़ रुपए इलाहाबाद बैंक में विराज कंस्ट्रक्शन कंपनी के खाते को दिए. जिसके बाद यह पैसा विराज कंस्ट्रक्शन के मर्केंटाइल बैंक के खाते में स्थानान्तरित हो गया और बाद में अखिलेश दास गुप्ता ने यह भारी पैसा बैंक से निकाल लिया. तब बैंक में चेयरमैन अखिलेश दास की पत्नी अलका दास गुप्ता थी. इस तरह बैंक से अखिलेश दास गुप्ता को कितना पैसा गया, यह गंभीर जांच का विषय है.

Dr.-Akhilesh-Das-Gupta

इंडियन मर्केंटाइल बैंक के तत्कालीन सीनियर मैनेजर जेके अग्रवाल के बेटों के नाम भी करोड़ों के फर्जी ऋण लेकर बाद में यह पैसा पहले से तैयार फुलपू्रफ प्लानिंग के तहत अखिलेश दास गुप्ता ने हड़प लिया. आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार मर्केंटाइल बैंक की कैंट स्थित ब्रांच से गणपति एसोसिएटस के प्रोपराइटर रजत अग्रवाल (खाता संख्या 382) को व्यापार के लिए 29 नवंबर 2010 को 1 करोड़ 45 लाख का ऋण दिया गया.

अब जरा पूरे खेल से पर्दा हटाया जाए. एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत पहले करीब डेढ़ करोड़ का पेमेंट आर्डर 31 दिसंबर 2010 को जारी किया गया. उसके बाद पेमेंट आर्डर को निरस्त कर पूरा पैसा बैंक के मुख्य शाखा को हस्तान्तरित करवा दिया गया. इसके बाद सूत्रों की माने तो यह पैसा अखिलेश दास ने नकद निकलवा लिया. खास बात यह है कि इस ऋण के बदले रजत अग्रवाल ने 1 करोड़ 89 लाख की कृषि भूमि सुरक्षा के तौर पर गिरवी रखी, वह आयी कहां से. यह भी जांच का विषय है.

निरीक्षण रिपोर्ट में साफ लिखा हे कि ऋण लेने वाले के व्यापार की कोई जानकारी नहीं है. वहीं फंड के प्रयोग पर भी अनिश्चितता बताई गयी थी. इसी तरह जेके अग्रवाल के दूसरे बेटे आशू एसोसिएटस के प्रोपराइटर प्रतीक अग्रवाल ने भी किया. कैट ब्रांच के खाता संख्या सीसी 381 के जरिए प्रतीक को पहले 1 करोड़ 40 लाख का ऋण दिया गया. बाद में यह पैसा नोएडा मुख्य शाखा में चला गया. यह पैसा भी अखिलेश हड़प गए. यह गोरखधंधा लाल सिंह (खाता संख्या सीसी 380) के जरिए भी अंजाम दिया गया. जिन्हें करीब 4 करोड़ 17 लाख का ऋण दे दिया गया था. बैंक के नियमों के तहत सीईओ को केवल पांच लाख के ऋण स्वीकृत करने की पावर के बावजूद करोड़ों के ऋणों को अनुमोदन दिया गया. इंडियन मर्केंटाइल बैंक में अखिलेश दास की महालूट की जांच भारत सरकार कराए तो हजारों करोड़ के घोटालों का खुलासा तो होगा ही साथ अखिलेश दास जैसे लुटेरों के असली चेहरे बेनकाब होगे.

                                                               –लूट की दास्तान आगे भी जारी रहेगी…

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]