BeyondHeadlines News Desk
मलाला सिर्फ पाकिस्तान में ही नहीं, बल्कि कई मलाला भारत में भी हैं. मेरठ की 15 वर्षीय रज़िया भारत की पहली ‘मलाला’ है. और न जाने अभी कितने मलाला मीडिया के कैमरों से दूर हैं. अभी उन तक मीडिया की पहुंच नहीं बन सकी है. खैर, रजिया सुल्तान को पहला मलाला अवार्ड मिलने की घोषणा के बाद उसके गांव नांगला कुभा में जश्न का माहौल है और गांव के लोग इस लड़की को इतनी ऊंचाई पर देखकर बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. ईंट आपूर्ति का काम करने वाले रजिया के पिता फरमान को अभी तक अपनी बेटी को मिलने वाले पहले मलाला अवार्ड के महत्व और प्रतिष्ठा का अनुमान भी नहीं है फिर भी वह अपनी बेटी की उपलब्धियों से पूरी तरह संतुष्ट हैं और उसकी तमाम इच्छाओं को पूरा कर देने का संकल्प ले चुके हैं, जिसमें दिल्ली के जामिया मिलिया विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातक स्तर की पढ़ाई करना शामिल है.
फरमान ने बताया कि उनकी बेटी रजिया मात्र पांच वर्ष में अपनी छोटी और नाजुक उंगलियों से फुटबाल की सिलाई करने का काम करके अपने परिवार को आर्थिक सहारा देती थी. उनका कहना है कि वह कम उम्र में ही रजिया का निकाह करके अपनी जिम्मेदारी को पूरा करना चाहते थे, लेकिन एक गैर सरकारी संस्था “बचपन बचाओ आंदोलन” द्वारा बाल मजदूरी से मुक्त कराये जाने के बाद वह स्वयं बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को शिक्षा दिलाने की कोशिश में लग गई.
फरमान कहते हैं कि अपनी आर्थिक स्थिति से बढ़कर उन्होंने रजिया को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाया और अब वह कुराली के एलटीआर पव्लिक स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा हैं. उनका कहना है कि वंचित तबके के बच्चों की आवाज़ उठाने और उन्हें शिक्षा दिलाने में रजिया की कोशिशें को पूरा कराना उनके जीवन का ध्येय है. दूसरी तरफ फरमान की पत्नी और रजिया की स्नातक मां जाहिदा का कहना है कि उनकी बेटी जिस तरह पूरे विश्व में छा गई है उससे उसे इतनी खुशी मिली है जो कभी नहीं मिल सकी.
उल्लेखनीय है कि रज़िया ने अब तक 46 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराकर स्कूल में दाखिला दिलाया है. उसने खुद कुराली के एसडीआर स्कूल से 11वीं पास कर ली है. आसपास के कई गांव अब बाल मित्र ग्राम हो गए हैं. यानी अब वहां बच्चों से मजदूरी नहीं कराई जाती. उसने पास के स्कूल में पानी पीने की व्यवस्था कराई, डीएम से मिलकर लड़कियों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था करवाई और अपने गांव को सुरक्षित करने के लिए सबको साथ लेकर दीवार खड़ी करवा दी. इन्हीं उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान की बहादुर लड़की मलाला यूसुफजई के 16 साल की होने पर संयुक्त राष्ट्र में “मलाला दिवस” के अवसर पर पहला मलाला अवार्ड भारत की 16 वर्षीय रजिया को ही दिये जाने की घोषणा की गयी है. संयुक्त राष्ट्र में ‘मलाला-डे’ के अवसर पर शामिल होने के लिए रजिया न्यूयॉर्क नहीं जा पाएगी. लेकिन, पहला मलाला अवार्ड भारत की 15 वर्षीय रजिया को ही दिया जाएगा. संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष राजदूत गार्डन ब्राउन ने रजिया को पत्र लिखकर बताया है कि वह अपनी जुबानी पूरे विश्व को रजिया की कहानी सुनाएंगे.