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सपा के गुंडे छूट गए, निर्दोष जेलों में रह गए

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने के समर्थन में जबलपूर मध्यप्रदेश से आए सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव गुप्ता ने कहा कि हमने मीडिया माध्यमों से जाना कि रिहाई मंच का जो धरना मई की लू की थपेड़ों को सहता हुआ इस भारी बरसात के दिनों में चल रहा है. उसका मंच सपा सरकार ने उखाड़ फेंकवाया तो काफी अफसोस हुआ कि कैसा लोकतंत्र हमारी सरकारें बना रही हैं.

आज रिहाई मंच खालिद के उन हत्यारों जिन पर नामजद मुक़दमा दर्ज किया जा चुका है कि गिरफ्तारी को लेकर पिछले 68 दिनों से विधानसभा पर बैठा है लेकिन अखिलेश के तथाकथित समाजवाद में उनकी सुनवाई नहीं हो रही है.

Meetuth communal violence result of SP govt communal agendaउन्होंने कहा कि मीडिया माध्यम जो मुलायम और अखिलेश के दावों को बिना जांचे परखे धड़ल्ले से लिखते हैं उन्हें मुलायम से पूछना चाहिए कि उन्होंने आतंकवाद के नाम पर जिन बेगुनाह युवकों को छोड़ने का दावा किया था वो कहां हैं.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि मेरठ में जिस तरह पुलिस की सहभागिता के साथ साम्प्रदायिक दंगा हुआ है उससे समझा जा सकता है कि दंगे बहुत नीतिगत स्तर पर संचालित किए जा रहे हैं. पिछले साल इसी तरह बरेली में भी दंगे हुए थे, जिसमें सपाई और संघी सांप्रदायिक तत्वों ने तीन दिन तक जमकर तांडव किया. जिसके पीछे 2014 के लोकसभा चुनावों में सपा द्वारा मुसलमानों को डरा कर वोट लेने की रणनीति है. जिसके खिलाफ अवाम को जागरूक करना होगा.

उन्होंने कहा कि सपा और बसपा दोनों ने अपनी सियासी पारी की शुरूआत ‘मिले मुलायम कांशी राम- हवा में उड़ गए जय श्री राम’ के नारे के साथ मुसलमानों की हमदर्द बनकर की थीं लेकिन आज दो दशकों में ही दोनों आरएसएस के एजेंडे को बढ़ाने में भाजपा से भी ज्यादा मेहनत करती दिख रही हैं.

सपा अगर साल भर में 27 बड़े दंगे कराती है तो बसपा राज में नरेंद्र मोदी की तर्ज पर मायावती को मारने की साजिश रचने के नाम पर निर्दोष मुस्लिम युवकों की हत्या कर दी जाती है. यह स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. जिसके खिलाफ अवाम को खड़ा करना होगा.

धरने को संबोधित करते हुए इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि देश में पिछले दिनों संघ गिरोह के आतंकी जिस तरीके से बेनकाब हुए हैं ऐसे में कचहरी धमाकों समेत यूपी में हुई सभी आतंकी वारदातों की पुर्नविवेचना एनआईए से कराई जानी चाहिए. इस मांग को लंबे समय से रिहाई मंच ने उठाया है कि राज्य की एजेंसियां के सांप्रदायिक जेहनियत का शिकार बेगुनाह मुसलमान होता है.

उन्होंने कहा कि रिहाई मंच लंबे समय से रामपुर पर हुए कथित आतंकी हमले की पुर्नविवेचना की मांग करता रहा है जिस पर सपा सरकार के जिम्मेवार भी सहमत थे पर सिर्फ जबानी खर्च तक मुसलमानों को बेवकूफ बनाने तक. आज जब यह बात जमाना जान रहा है कि किस तरह से 31 दिसंबर 2007 की रात रामपुर के सीआरपीएफ कैंप में नए साल के जश्न में नशे में धुत जवानों ने आपस में गोलीबारी कर ली तो किस आधार पर बेगुनाह मुस्लिम युवकों कौसर फारुकी, जंग बहादुर, शरीफ, गुलाब व अन्य को जेलों में सड़ाया जा रहा है. जब आतंकी घटना हुई ही नहीं तो आरोपी और दोषी होने का सवाल ही नहीं बनता.

सपा सरकार अगर सचमुच मुसलमानों की हितैषी है तो वह तत्काल रामपुर सीआरपीएफ कैंप की जांच एनआईए से कराने की दिशा में बढ़े, क्योंकि राज्य की जिन एजेंसियों ने उन्हें गलत तरीके से फंसाया है वो न्याय नहीं दिलवा सकती.

धरने को सम्बोधित करते हुए बाराबंकी में तारिक कासमी और मरहूम खालिद के वकील रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि निचली अदालतों में जिस तरह साम्प्रदायिक जेहनियत के जजों की संख्या बढ़ रही है वह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.

उन्होंने कहा कि शहजाद प्रकरण पर आया साकेत कोर्ट का फैसला इसकी ताजा मिसाल है. जिससे समझा जा सकता है कि निचली अदालतों पर पुलिस का किस हद तक नाजायज कब्जा बढ़ता जा रहा है जो तमाम कानूनी रिवायतों को धता बताते हुए अपने पक्ष में फैसले करवा ले रही है.

उन्होंने कहा कि इस न्यायिक फांसीवाद पर सर्वोच्च अदालतों को संज्ञान लेना चाहिए. रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि सपा हुकूमत के आते ही संगीन मुक़दमें झेल रहे सपा के कार्यकर्ता तो छूट गए जिसके लिए किसी भी समाज के लोगों ने धरना नहीं दिया था. लेकिन आतंकवाद के नाम पर बंद जिन निर्दोष मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने के चुनावी वादे के साथ सपा हुकूमत में पहुंची है उनकी रिहाई के लिए लोगों को दो महीने तक विधान सभा के सामने धरने पर बैठना पड़ रहा है जो सरकार के लिए शर्मनाक है.

पिछड़ा समाज महासभा के नेता शिवनारायण कुशवाहा ने कहा कि सपा हुकूमत में जिस तरह मुस्लिम विरोधी दंगों की बाढ़ आ गयी है, दलितों के आरक्षण के खिलाफ सपा खुलकर आ गयी है उससे साफ हो गया है कि अब सपा सवर्ण और सामंती ताकतों के साथ हाथ मिला चुकी है और उसकी कोशिश समाज में जातीय और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कराकर संघ परिवार के हिंदुत्वादी एजेंडे को बढ़ाया जाए.

उन्होंने मुलायम सिंह और सपा को देश विरोधी क़रार देते हुए कहा कि जो सपा चंद नोटों के लिए देश की सम्प्रभुता को गिरवी रखने वाले अमरीका के साथ न्यूक्लीयर डील करा सकती है वह सिवाय दंगों और हत्याओं के समाज को कुछ नहीं दे सकती.

हाजी फहीम सिद्दीकी और जैद अहमद फारुकी ने कहा कि रिहाई मंच के धरने के 75 वें दिन 4 अगस्त को रमजान मुबारक का आखिरी अशरह भी है, उस दिन इस्तेमाई दुआ का एहतेमाम किया गया है. इंसाफ पसन्द अवाम से गुजारिश है कि ज्यादा से ज्यादा तादाद में रिहाई मंच के धरने पर पहुंचकर दुआ में शिरकत फरमाएं.

रिहाई मंच के नेता हरे राम मिश्र ने बताया की प्रदेश से बाहर व देश से बाहर जो भारतीय या इंसाफ पसन्द अवाम हैं उनको इस अभियान में जोड़ने के लिए हमने ईमेल और पोस्टकार्ड अभियान चला रखा है. जिसके तहत मौलाना खालिद और तारिक की बेगुनाही का सबूत निमेष कमीशन रिपोर्ट को मानसून सत्र बुलाकर रखने व आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने के लिए अवाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को लिख रही है.

उत्तर प्रदेश की कचहरियों में सन् 2007 में हुए सिलसिलेवार धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और खालिद के हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना रविवार को 68 वें दिन भी जारी रहा.

धरने का संचालन बब्लू यादव ने किया. धरने को डॉ.मसूदुर्रहमान कासमी, भारतीय एकता पार्टी (एम) के सैय्यद मोईद अहमद, मौलाना कमर सीतापुरी, इरफान शेख, वासिफ इरफान, जैद अहमद फारूकी, हाजी फहीम सिद्दीकी, मोहम्मद फैज़, डॉ. अजीम, हसीबुर्ररहमान, रणधीर सिंह सुमन, मोहम्मद रहीम सिद्दिकी, इरफान शेख, फरहान जि़या, फैसल शेख, यासिर शेख आदि ने संबोधित किया.

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