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यूपी में हो रहे फसाद की सीबीआई जांच करवाई जाए

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच ने कहा है कि प्रदेश को जिस तरीके से त्योहारों के मौके पर दंगे की आग में झोंकने का काम हो रहा है, ऐसे में इस बात को समझना चाहिए कि सरकार से मिलने मिलाने का कोई मतलब नहीं है, बल्कि इस बात की मांग होनी चाहिए कि जो भी फसाद हो रहे हैं उनकी सीबीआई से जांच करवाई जाए और जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया जाए.

रिहाई मंच का जांच दल जल्द लखनऊ और मेरठ में हुए फसाद की जांच करेगा. मंच का कहना है कि सपा और भाजपा के बीच अंदुरूनी सांठ-गांठ हो चुकी है और इसी के तहत कभी लक्ष्मण टीले को लेकर तो कभी निशातगंज की मस्जिद तो कभी नूर महल मस्जिद को विवाद का आधार बना कर शहर का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है.

CBI probe demanded in Lucknow secterian violenceइस षडयंत्र को उजागर करने के लिए सीबीआई जांच होनी चाहिए लेकिन कुछ सरकार परस्त कथित उलेमा मुलायम से मिल कर सिर्फ मुआवजे की मांग करके इन साजिशों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे हैं. जिससे इस शक को और आधार मिलता है कि ये घटनाएं सरकारी साजिश का नतीजा हैं.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि जब से भाजपा ने अमित शाह को प्रदेश का प्रभारी बनाया है तब से सपा और भाजपा के बीच ट्यूनिंग बेहतर हो गयी है. जिसके नतीजे के बतौर हम लखनऊ में आए दिन होने वाले साम्प्रदायिक तनावों को देख सकते हैं.

पत्रकार फैजान मुसन्ना ने कहा कि शिया सुन्नी या हिंदु मुस्लिम झड़पों में दोनों समुदायों की अवाम आपस में झगड़ती है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं दिखा, अज्ञात लोगों ने पत्थरबाजी की या अराजक तत्वों की अज्ञात झुंडों ने अफवाहें फैलायीं जिससे शहर का माहौल खराब हो गया. जो दंगों का लक्षण नहीं बल्कि सरकारी मशनरी के सहयोग से किये गए षडयंत्र का नतीजा है जिसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए. ये बातें उन्होंने रिहाई मंच के धरने के 73वें दिन कहीं.

मुस्लिम मजलिस के नेता जैद अहमद फारुकी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार विधान सभा का सत्र बुलाने से भाग रही है. जबकि मानसून सत्र जून के पहले सप्ताह में शुरु होता जाता रहा है. रिहाई मंच ईद के बाद उत्तर प्रदेश के मौजूदा विधायकों से पत्र व मुलाकात के माध्यम से सत्र बुलाने के लिए लिखित वैधानिक कार्यवाई की मांग करेगा.

उन्होंने कहा कि पिछले सत्र के बाद उत्तर प्रदेश में बाढ़ के भयंकर हालात हैं, जनता गुंडा राज से त्रस्त है, मुस्लिम समुदाय में खालिद मुजाहिद की हत्या के बाद असुरक्षा की भावना घर कर गई है, लोगों का सरकार से विश्वास उठ गया है ऐसी तमाम सवाल हैं जो सरकार की नीति निर्धारण से जुड़े हैं ऐसे में सरकार को तत्काल मानसून सत्र बुलाना चाहिए और अगर नहीं बुला पा रही है तो मतलब है कि इन सवालों का वह सामना करने की हिम्मत नहीं कर पा रही है. पर लोकतांत्रिक ढ़ांचा इस बात को सुनिश्चित करता है कि सरकार जनता के सवालों पर सदन चलाए जिसे न मानना इस पूरे लोकतांत्रिक ढांचें से बगावत करना है जा सपा सरकार कर रही है.

सरकार के साथ-साथ मुस्लिम विरोध पर उत्तर प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल बसपा भी इस गठजोड़ में शामिल है, जिसका जीता जागता सबूत कुशीनगर की घटना है जहां मुस्लिम समुदाय की नाबालिग लड़कियों को योगी आदित्यनाथ की हिंदू युवा वाहिनी के गुंडे अगवा कर ले जाते हैं पर उसी क्षेत्र से आने वाले नेता विरोधी दल स्वामी प्रसाद मौर्या इस सवाल पर मौन हैं.

इस मौके पर हाजी फहीम सिद्दीकी और कमर सीतापुरी ने सभी इंसाफ पसंद लोगों से अपील की कि 4 अगस्त 2013 को धरने के 75 दिन पूरे होने पर बाद नमाज़-ए-मग़रिब में जिस इज्तेमाई दुआ का एहतेमाम किया जा रहा है, उसमें ज्यादा से ज्यादा तादाद में शिरकत करके शहीद खालिद मुजाहिद को इंसाफ व दीगर बेकसूरों की रिहाई के लिए दुआ करें.

पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक़ मलिक और शिवनारायण कुशवाहा ने कहा कि आज 73 दिन से जिस हिम्मत से रिहाई मंच इस संघर्ष को चला रहा है इससे साफ है कि जनता ने ठान लिया है कि सड़क पर उतर कर सदन को नियंत्रित करेगी.

जिस तरह मिश्र में तहरीर चौक बना उसी तरह सरकारों को समझ लेना चाहिए कि जब ईराक में बुश को जूता मारने के बाद पूरे देश में भ्रष्ट नेताओं को जूते मारना शुरु हुआ ठीक उसी तरह जनता अपने जनान्दोलनों से हिन्दुस्तान में एक नया तहरीर चौक बनाएगी.

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने कहा कि पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री के नाम पोस्टकार्ड भेजने का अभियान रिहाई मंच चला रहा है कि वादे के मुताबिक अखिलेश यादव मानसून सत्र बुलाकर निमेष कमीशन की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखते हुए दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्यवाई करें और तारिक कासमी और अन्य आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने का वादा पूरा करें. यह यूपी के मुख्यमंत्री को पत्र लिखने का यह अभियान ईमेल द्वारा भी चलाया जा रहा है जिससे देश से बाहर के लोग भी इस अभियान से जुड़ सकें.

उन्होंने बताया कि इस अभियान में प्रतिदिन धरने स्थल पर सौ से ज्यादा लोग शिरकत कर रहें हैं और प्रदेश के विभिन्न जिलों से रिहाई मंच व अन्य इस मुद्दे से जुड़े राजनीतिक व सामाजिक संगठन के लोग इस अभियान को गांव-गांव, कस्बे-कस्बे चलाया जा रहा है.

रिहाई मंच के नेता हरेराम मिश्र ने कहा कि आजमगढ़, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों से कल से रोज हर जिले से कम से कम 100 से अधिक पोस्ट कार्ड भेजने का लक्ष्य है.

फर्रूखाबाद से आए सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र सिंह यादव ने कहा कि आज कहने को तो पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के वोट से सत्ता में आयी पार्टी की सरकार है लेकिन विधान सभा धरना स्थल पर आज इन्हीं समाजों से आए हजारों लोगों को अपनी मांगे लेकर धरना देना पड़ रहा है जो सपा के कथित समाजवाद की असलियत को उजागर कर देता है.

उन्होंने धरना देने के आए आयुर्वेद के सैकड़ों छात्र-छात्राओं का समर्थन करते हुए कहा कि सत्र 2011 बीएएमएस के पांच महाविद्यालयों की रोकी गयी परीक्षा तत्काल करायी जाए. क्योंकि इन छात्रों की जरूरत आज देश के बीमार लोगों को है.

उन्होंने कहा कि जहां एक ओर अमरीका भारतीय चिकित्सा पद्धतियों का पेटेंट कराकर इसे आने वाली भारतीय पीढियों से इसे दूर रखना चाह रहा है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश की सरकार इस चिक्तिसा पद्धति को ही खत्म करने पर तुली है.

उत्तर प्रदेश की कचहरियों में सन् 2007 में हुए सिलसिलेवार धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और खालिद के हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना शुक्रवार को 73 वें दिन भी जारी रहा.

धरने का संचालन हरेराम मिश्र ने किया. धरने को मोहम्मद सलमान, रफीक सुल्तान खान, पीसी कुरील, भवननाथ पासवान, एहसानुल हक मलिक, मौलाना कमर सीतापुरी, हाजी फहीम सिद्दिीकी, शिवनारायण कुशवाहा, प्रबुद्ध गौतम, योगेन्द्र सिंह यादव, डा0 मसीहुद्दीन खान, डा0 कासिफ अहमद, मोहम्मद कासिम, हरे राम मिश्रा, बब्लू यादव, मोहम्मद फैज, शाहनवाज आलम और राजीव यादव आदि ने संबोधित किया.

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