BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : भारी बारिश के बीच आज ईद के दिन भी रिहाई मंच ने 80वें दिन मौलाना खालिद को न्याय दिलाने व आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिए धरना जारी रखा. आज पूरे प्रदेश भर में आज़मगढ़, जौनपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, फैजाबाद, बाराबंकी, बरेली, मेरठ, मथुरा, गोरखपुर, रामपुर, कुशीनगर, प्रतापगढ़, मुरादाबाद और लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में बेगुनाहों की रिहाई के लिए इज्तेमाई दुआ मांगी और काली पट्टी बांधकर आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों के सवाल पर वादा खिलाफी करने वाली सपा सरकार का विरोध किया.
लखनऊ ईदगाह में हाजी फहीम सिद्दीकी के नेतृत्व में सपा-कांग्रेस के नेताओं को काले झंडे दिखाए और सर पर काला साफा भी बांधा.
महाराष्ट्र से आये सोशलिस्ट पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पन्ना लाल सुराणा ने कहा कि जिस तरीके से आज भारी बरसात के बीच लोग ईद के त्योहार के दिन भी काली पट्टियां बांधकर रिहाई मंच के इस आंदोलन में शामिल हैं, वो बताता है कि इस देश में लोकतंत्र की जड़े बहुत मजबूत हैं.
श्री सुराणा ने कहा कि जिस तरह से लू के थपड़ों के बीच शुरू हुए इस आंदोलन के अस्सी दिन बाद भी सपा सरकार इसकी मांगों को नहीं मान रही है जबकि मैं खुद और हमारे पार्टी के वरिष्ठ नेता जस्टिस राजेन्द्र सच्चर ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्यवाही करने की बात कही थी और अखिलेश यादव ने हामी भी भरी थी.
इंसाफ के सवाल पर इस तरह की देरी और प्रदेश सरकार के गैर जिम्मदाराना रवैये की वजह से एक बेगुनाह की हत्या हो जाना यह बताता है कि नीतिगत स्तर पर वंचित तबका जाहे वह मुस्लिम, दलित या फिर आदिवासी हो उसको सरकारें इंसाफ से वंचित ही नहीं करती हैं बल्कि थकाने व बेबस करने का काम करती हैं. पर जिस मज़बूती से रिहाई मंच इस आंदोलन को चला रहा है, हमें यकीन है कि सरकार को एक दिन झुकना पड़ेगा और रिहाई मंच की मांगों को मानना पड़ेगा.
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक महत्व का है. आज के ही दिन साम्राज्यवादी अमेरिका ने मानवता के खिलाफ युद्ध को आगे बढ़ाते हुए नागासाकी पर परमाणु बम गिराया था जिसमें कई लाख लोग अपनी जान गंवा बैठे.
उन्होंने कहा कि मानवता के खिलाफ समय दर समय शासक वर्ग द्वारा लगातार हमले किये गये हैं. जिस तरह से अमरीका ने द्वितीय विश्व युद्ध में परमाणु बम को आवाम के खिलाफ प्रयोग किया था ठीक उसी तरह आज के दौर में इस मुल्क की सरकार भी एक खास नीति के तहत लोकतंत्र पर संकट पैदा कर रही है.
उन्होंने कहा कि इस मुल्क में इस दिन को अंग्रेजों के खिलाफ क्रान्ति दिवस के रूप में भारत छोड़ो आंदोलन के आरंभ के रूप में याद किया जाता है. मानवता और शांति के त्योहार ईद के दिन आवाम ने जिस तरीके से जेलों में बंद बेगुनाहों की रिहाई के लिए दुआएं मांगी और जालिम हुकूमत के खिलाफ काली पट्टी बांधकर विरोध का इज़हार किया. उसने इस रिहाई आंदोलन के आधार को और मज़बूत किया है.
मैग्सैसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय ने कहा कि आज ईद के दिन सड़कों पर सपा नेताओं की बड़ी-बड़ी होर्डिगें आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों और उनके परिजनों के बारे में सोचने को मजबूर कर रही हैं कि जो सपा सरकार बेगुनाहों की रिहाई के वादे से वादा खिलाफी कर युवकों को जेलों में सड़ने को मजबूर कर रही है. वो सपा सरकार और उसके नेता आखिर किस मुंह से बधाई दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हुआ कथित आतंकी हमला कोई आतंकी हमला न होकर सीआरपीएफ जवानों द्वारा नये वर्ष के जश्न में शराब के नशे में धुत होकर आपस में चलाई गयी गोलियों का नतीजा था. पर उत्तर प्रदेश में हुई ऐसी तमाम आतंकी घटनाओं पर रिहाई मंच की पुनर्विवेचना की लगातार मांग करता रहा है. पर सरकार नहीं मान रही है और ऐसे में बेगुनाह बच्चों को खुशियों के त्योहार ईद पर जेलों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
हाजी फहीम सिद्दीकी और सैय्यद मोईद अहमद ने कहा कि आज पूरे प्रदेश में बेगुनाहों की रिहाई के लिए जिस तरह से दुआएं हुईं और जिस तरीके से मिल्लत ने काली पट्टी बांधकर सपा सरकार का विरोध किया उसने यह साफ कर दिया है कि मिल्लत अपने बेगुनाह बच्चों के न्याय के लिए जाग गई है. हाजी फहीम सिद्दीकी ने कहा कि आज लखनऊ ईदगाह में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता रीता बहुगुणा को काला झंडा दिखाना इनकी मुस्लिम विरोधी नीतियों को आईना दिखाने की कोशिश थी कि वो हमारे बच्चों की कभी बाटला हाउस तो कभी खालिद मुजाहिद के रुप में हत्या करवाएंगे और हम खामोश रहेंगे अब ऐसा नहीं होगा.
सोशलिस्ट पार्टी के नेता ओंकार सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी रिहाई मंच के इस आंदोलन का हमेशा समर्थन करती रही है. आज के दिन हम जेलों में बंद बेगुनाह बच्चों से इस मंच के माध्यम से कहना चाहेंगे कि कभी निराश न हों क्योंकि हिन्दू-मुस्लिम का भेद मिटाते हुए आवाम की एक बड़ी ताकत उनके साथ खड़ी है.
उन्होंने कहा कि आज जिस तरह से इस मंच पर हमारे मुसलमान भाइयों ने ईद के दिन नये कपड़े न पहन कर पुराने कपड़े पहने वो बताता है कि किस तरह से आंदोलन की नयी संस्कृति का निर्माण हो रहा है और ऐसी आंदोलनकारी संस्कृतियां शासक वर्ग के लिए चुनौती बन कर उभरती है.
इस धरने का संचालन इलाहाबाद से आये अनिल आजमी ने किया. धरने को मौलाना मोहम्मद मियां, रिहाई मंच इलाहाबाद के प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह, लक्ष्मण प्रसाद, भारतीय एकता पार्टी (एम) के सैय्यद मोईद अहमद, पिछड़ा महासभा के एहसानुल हक मलिक व शिव नारायण कुशवाहा, इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी फहीम सिद्दीकी, एसएफआई के अखिल विकल्प, धर्मेन्द्र यादव, बबलू यादव, अम्बेडकर नेशनल कांग्रेस के फरीद खान, हरेराम मिश्र, प्रबुद्ध गौतम, राधा पाण्डेय, फरुर्खाबाद से आये सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र यादव, राजीव यादव सहित अनेक लोगों ने धरने को संबोधित किया.