Abhishek Upadhyay for BeyondHeadlines
ये है हमारी भारतीय सेना… आइए… इनकी कहानी सुनिए… जहां हैं वहीं खड़े हो जाइए… इस सेना की शान में पहले अपना सिर पीटिए फिर राष्ट्रगान गाइए… कश्मीर के कुपवाड़ा के केरन सेक्टर के शालाभाटा गांव में आतंकी घुस आए थे, बकौल सेना… बकौल सेना प्रमुख जनरल विक्रम सिंह, ये सभी पाकिस्तान की मदद से घुसे थे… पिछले 15 दिनों से यहां सेना आतंकियों को मार रही थी… कभी बताया गया कि 11 आतंकी मार गिराए हैं… फिर बताया गया कि 11 नहीं 30-40 आतंकी हैं… एक एक को चुन चुनकर मारा जा रहा है…
अब सेना का यह दिग्विजय आपरेशन खत्म हो चुका है. “केरन आपरेशन इज ओवर” और गजब ये कि एक भी आतंकी की डेड बॉडी नहीं मिली है. एक की भी नहीं, जबकि सेना ने लगभग दहाड़ मारते हुए यह भी दावा किया था कि आतंकियों को चारों ओर से घेर लिया है. पूरा एरिया “कार्डेन ऑफ” कर लिया है. एक भी आतंकी बचेगा नहीं. अब कहां गए सब के सब…
पाकिस्तान इन्हें सपोर्ट कर रहा था, इसका भी एक सबूत नहीं है. कम से कम सेना ने तो एक भी सबूत अभी तक पेश नहीं किया है. सेना के अधिकारी अब सवालों से कन्नी काटते फिर रहे हैं. इधर देश का माहौल देखिए… यहां पाकिस्तान के खिलाफ लगभग युद्ध की रणभेरी बजा दी गई थी. मारो… काटो… पाकिस्तान को… कोई बचने न पाए… खत्म कर दो सभी को…
यह भी बताया गया कि ये हमला तो कारगिल का भी “बाप” है. ध्यान देने वाली बात है कि कश्मीर का यह इलाका सेना की नार्दन कमांड के दायरे में आता है. इसी नार्दन कमांड के मुखिया रहे लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने आज ट्वीट करके सेना के इस आपरेशन की बाबत कहा है- “big operation that never was”. यानि कि एक बड़ा आपरेशन जो कभी था ही नहीं. यानि जो हुआ ही नहीं, उसके लिए पूरे देश में रणभेरी बजा दी गई. हर भारतीय के शरीर से उबाल उबाल कर कम से कम डेढ़ सौ ग्राम खून सुखा दिया गया.
बात इसकी नहीं है कि पाकिस्तान से कोई सहानभूति हो. और पाकिस्तान भी क्या? कौन पाकिस्तान? पाकिस्तान से लिए मेरे मानी, वहां की सरकार, वहां का खुफिया तंत्र और वहां की फौज है. वहां की जनता को नफ़रत की इस भट्टी में पीसना बंद कीजिए. क्योंकि आपके अपने मुल्क में कुछ छुटभैय्ये टाइप के नेता महाराष्ट्र में खड़े होकर यूपी और बिहार की जनता को पीसने की बात करते हैं, और उनका आप कुछ नहीं कर पाते. पर इसका मतलब ये कब से हो गया कि महाराष्ट्र की जनता भी यूपी बिहार की जनता से नफ़रत करती है. उसे नफ़रत करना सिखाया जाता है.
पाकिस्तान से आज भी मेरे मायने फैज़, मंटो, फराज़, परवीन शाकिर, गुलाम अली, फहमीदा रियाज़ और मेंहदी हसन से हैं. दोनो ही देशों की बंदूकों में कितनी भी ताक़त क्यों न हो, ये विरासत हमारे हाथों से वे नहीं छीन सकतीं.
असल में पाकिस्तान और हिंदुस्तान दोनों ही के राजनेताओं के वजूद का आधार एक जैसा है. पाकिस्तान की सरकार और नेता भारत के खिलाफ नफ़रत का ज़हर भड़का कर अपनी राजनीति चमकाते हैं और भारत के नेता और सरकार यही काम पाकिस्तान के सिलसिले में करते हैं. हमारी आपकी जैसी जनता तो है ही मुहरा बनने के लिए इन नेताओं की नफ़रत की इस सियासत की. फिर बार-बार इसका रोना क्यों कि पाकिस्तान ने ये कर दिया, पाकिस्तान ने वो कर दिया. क्या विभाजन के वक्त पाकिस्तान ने इस बात का पट्टा लिख दिया था कि वो भारत के खिलाफ कुछ भी नहीं करेगा.
और एशिया में ही अगर दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व एशियाई देशों के बीच की बात करें तो कौन किससे नहीं उलझ रहा है? क्या भारत और श्रीलंका के बीच पंगा नहीं है? क्या श्लीलंका की एलटीटीई को पालने पोसने वाला भारत नहीं था? क्या उसी एलटीटीई ने भारत के एक प्रधानमंत्री की जान नहीं ली? क्या आज भी तमिलनाडु की डीएमके और एआईडीएमके जैसी क्षेत्रीय पार्टियों का वजूद ही श्रीलंका से दुश्मनी पर नहीं टिका है? क्या चीन का हमसे पंगा नहीं है? क्या वो सीमा में घुसपैठ नहीं कर रहा है? क्या ताइवान का चीन से पंगा नहीं है? क्या हांगकांग और चीन में अच्छी दोस्ती है? क्या साउथ कोरिया और नार्थ कोरिया एक दूसरे की जान के दुश्मन नहीं है? क्या पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बंदूके नहीं गरजती हैं? और वैश्विक स्तर पर देखें तो क्या अमेरिका अपने पड़ोसी क्यूबा को जड़ से मिटाने पर नहीं आमादा है? क्या ब्राजील और अर्जेंटीना के बीच सब ठीक-ठाक चल रहा है? क्या सीरिया और सउदी अरब में दांत काटी दुश्मनी नहीं है? क्या कीनिया और सोमालिया एक दूसरे के जानी दुश्मन नहीं हैं? क्या ईरान और इराक एक दूसरे की जान के प्यासे नहीं हैं? क्या इजरायल और फिलिस्तीन में गलबहियां चलती हैं? क्या यूएसएसआर का हिस्सा रहे जार्जिया और यूक्रेन जैसे देशों और रूस के बीच हम दिल दे चुके सनम का गाना गाया जाता है?
और सबसे बड़ा सवाल क्या भारत खुद दूध का धुला हुआ है? मासूम बच्चे हैं हम! शीशी से दूध पीते हुए! हमने भले ही सरबजीत को अपना कहने से इंकार कर दिया, मगर दुनिया जानती है कि सरबजीत पाकिस्तान में भारत का जासूस था. आपकी रा क्या मुफ्त में चने फोड़ रही है? क्या पड़ोसी देशों में “कोवर्ट” आपरेशन कराना रा का जिम्मा नहीं है? क्या जनरल वीके सिंह ने जिस टेक्निकल सपोर्ट डिवीजन को रक्षा मंत्री की सहमति से स्थापित किया था, वह पाकिस्तान में भजन गाने के लिए थी? ये तो हर देश कर रहा है. आप अपनी सीमाओं की हिफाजत नहीं कर पाते. आपकी इंटेलीजेंस केरन जैसे सेक्टर में घुसपैठ की अधकचरी खबर देती है. आपकी सेना फर्जी आतंकियों से 15 दिनों तक मोर्चा लेती है. फर्जी लाशें गिनती है. सीमा पर उसकी तैनाती होने के बावजूद हर साल कश्मीर में अच्छी खासी घुसपैठ हो जाती है. तो इसके लिए पाकिस्तान और आईएसआई जिम्मेदार हैं? 26/11 में जिन आतंकियों ने मुंबई पर हमला किया, ठीक है उन्हें पाकिस्तान ने भेजा था, पर आपकी सेना, आपकी नेवी क्या भूजा भूज रही थी? सो रहे थे सब के सब… भाड़े के चंद टट्टू आकर पूरे देश को एक पैर पर खड़ा कर देते हैं और आप पाकिस्तान के खिलाफ टीवी पर आग उगलकर अपनी बंदूक की राख हो चुकी कारतूस पर पर्दा डालते हैं. मारिए पाकिस्तान में घुसकर हाफिज सईद को. उड़ा दीजिए दाऊद इब्राहिम को कराची के भरे बाजार में. क्या पाकिस्तान ने आपकी सुरक्षा एजेंसियों के हाथ में चूड़ियां पहना रखी हैं? गजब है इस देश में पाकिस्तान के नाम पर रोटियां सेंकने, सियासत चमकाने और प्रमोशन पाने का खेल… वाकई महान हैं ये देश के महानायक…