Ilyaskhan Pathan for BeyondHeadlines
राजकोट : क्या आपके पास 2 या 5 रूपये का फटा-पुराना नोट है? चाहे वो दो-तीन टुकड़ों में भी हो तो चलेगा. बस नोट को सेलोटेप लगाकर जोड़ दीजिए. और फिर सौराष्ट्र आ जाइए. यहां इस किस्म के नोट से आप जो चाहे खरीद सकते है. और आपको शायद एक भी व्यापारी ऐसा नहीं मिलेगा जो ये कहे कि “भाई साहब! ये नोट नहीं चलेगा.”
असल में हम उस गुजरात की बात कर रहे हैं. इसी गुजरात में एक ऐसा प्रदेश भी है, जिसे ‘सौराष्ट्र’ के नाम से जाना जाता है. गुजरात में अहमदाबाद के बाद दूसरे दर्जे का सबसे बड़ा व्यापारी शहर राजकोट है, जो सौराष्ट्र में ही समाविष्ट है. राज्य के महसूल विभाग को तगड़ी कमाई देने वाले गुजरात के इस सौराष्ट्र इलाके में काफी अरसे से 1, 2, तथा 5 रूपये जैसे कम मूल्य के सिक्कों की भारी किल्लत चल रही है. सिक्कों की किल्लत इस क़दर बढ़ चुकी है कि व्यापारी और ग्राहकों के बीच लेन-देन में सड़े, फटे-पुराने और जिस नोट में गांधी का चित्र भी मुश्किल से दिखता हो, वैसा पांच रूपये का नोट भी चलन में है. आलम तो यह है कि 1 या 2 रूपये का नोट तो ढूंढने से भी नहीं मिलता. गौरतलब है कि यह समस्या गुजरात में कहीं और नहीं बल्कि सौराष्ट्र इलाके तक ही सीमित है.
ऊंचे लोग ऊंची पसंद की तरह ग़रीब आम जनता की ये समस्या ऊंचे लोगों की नज़र में नहीं आती. समस्या से सबसे ज्यादा मुश्किलें समाज के उस निचले तबके को उठानी पड़ रही हैं, जिसे रोज़ खाने के लिए रोज़ कमाना पड़ता है.
फलों का ठेला लगाकर घर का गुजारा करने वाले सलीम का कहना है कि “बाजार में कम मूल्य के सिक्के की मात्रा ना के बराबर है. वहीं 1और 2 रूपये के मूल्य का नोट तो मानो देखना भी दुर्लभ है. फिलहाल 5 रूपये का नोट बाजार में दिख रहा है वो भी कचरे जैसा जिसे जेब में रखना भी कचरे को रखने के बराबर है.”
आखिर कहां जा रहे है सिक्के?
कम मूल्य के चलन की किल्लत को घटाने के लिए समय-समय पर सरकारी बैंकों द्वारा सिक्कों का वितरण होता ही है. परंतु जितनी मात्रा में सिक्कों का वितरण किया जाता है, वो सारे सिक्के बाजार नहीं पहुंचते. जानकारों के अनुसार इन सिक्कों का बड़ा हिस्सा कमीशन एजेंट संग्रह कर लेते हैं. और यही लोग सिक्कों की किल्लत को ज्यों की त्यों रखने के लिए जिम्मेदार हैं. यह लोग इस ताक में रहते है कि बाजार में सिक्कों की ज्यादा किल्लत कब होती है? मौका भांपते ही यह लोग कमीशन पर व्यापारियों को सिक्के बेच देते हैं. इसी साल फरवरी में ही क्राइम ब्रांच की एक टीम ने राजकोट में छापा मारकर बड़ी मात्रा में सिक्कों के साथ ऐसे पांच कमीशन एजेंटो को पकड़ा था जो सिक्को को कमीशन लेकर बेच रहे थे.
पहले भी हुई थी सिक्कों की किल्लत
सौराष्ट्र में सिक्कों की किल्लत कोई नयी समस्या नहीं है. इससे पहले लगभग दस साल पहले भी ऐसी ही किल्लत हुई थी. हांलाकि तब अचानक ‘चमात्कारिक’ रूप से बाजार में इतनी मात्रा में सिक्के दिखाई दिए थे कि किल्लत की समस्या लगभग ख़त्म ही हो गई. यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि फिलहाल सौराष्ट्र में सिक्कों की किल्लत बहुत लम्बी चली है. आम जनता लगभग 4-5 सालों से समस्या के कारण परेशान हैं और इस बार तो ऐसे कोई आसार भी नज़र नहीं आ रहे जिससे समस्या का निराकरण हो.