History

मौलाना मज़हरूल हक़ : आज ही के दिन उगा था ये सूरज

Afroz Alam Sahil, BeyondHeadlines

मौलाना मज़हरूल हक़ (बैरिस्टर) की 152वीं जयंती उनके चाहने वालों के लिए बेहद ही ख़ास है. आज से 152 साल पहले 22 दिसम्बर को ही मज़हरूल हक़ ने इस दुनिया में अपनी आंखें खोली थीं. उनका काम इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि खुद इतिहास बन चुका है.

मज़हरूल हक़ ने इंसानियत और ज़ेहनियत की जो रोशनी इस दुनिया में फैलाई, वो आज उनके चाहने वालों के दिलों में जगमगाहट बिखेर रही है. उनकी ज़िन्दगी की कहानी अपने आप में प्रेरणा और नेकनीयती का एक मुकम्मल इतिहास है. पेश है उनकी ज़िन्दगी पर संक्षेप में रोशनी डालती हमारी एक प्रस्तुति…

22 दिसम्बर 1866 : पटना से क़रीब 25 किलोमीटर दूर पटना ज़िला अन्तर्गत मनेर के बाहपुरा ग्राम में शेख़ अहमदुल्लाह के घर आपका जन्म हुआ.

1886 : पटना कॉलेजिएट स्कूल से मैट्रिक पास किया.

1887 : कैनिंग कॉलेज लखनऊ में दाख़िला लिया.

1888 : कॉलेज छोड़कर मक्का जाने वाले जहाज़ से अदन पहुंचे. यहां पहुंचकर खुद को अकेला पाया, मजबूरन अपना इरादे और सफ़र की जानकारी अपने पिता को दी और उनसे मदद की मांग की.

1888 : 5 मई को लंदन पहुंचे और बैरिस्टरी की पढ़ाई के लिए दाख़िला लिया. यहां आपने ‘अंजुमन इस्लामिया’ की स्थापना की.

1891 : बैरिस्टरी पास करके हिन्दुस्तान लौटे और कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू किया.

1893 : सर विलियम बैरेट जूडिशियल कमिश्नर के कहने पर उत्तर प्रदेश के अवध में मुंसिफ़ी का पद क़बूल किया, लेकिन तीन साल बाद ही उक्त पद से इस्तीफ़ा दे दिया.

1895 : हुकूमत के साथ एक नाखुशगवार टक्कर के बुनियाद पर मुंसिफ़ी से इस्तीफ़ा दे दिया और फिर से वकालत करने का इरादा कर लिया.

1896 : बिहार के छपरा में वकालत शुरू की.

1897 : सारण में अकाल के दौरान ज़बरदस्त राहत कार्य चलाया और ‘खैराती रिलीफ़ फंड’ के सचिव नियुक्त हुए.

1903 : म्यूनिसिपल बोर्ड छपरा के पहले गैर-सरकारी वाईस-चेयरमैन नियुक्त हुए. उस ज़माने में चेयरमैन ज़िले का कलेक्टर हुआ करता था.

1906 : छपरा से पटना शिफ्ट हो गए और कांग्रेस में शामिल हुए.

1907 : ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के सचिव बनाए गए.

1910 : इम्पीरियल कौंसिल के सदस्य नियुक्त हुए और इलाहाबाद में मिन्टू मार्ले सुधार, जिसमें साम्प्रदायिक नुमाइंदगी की स्कीम शामिल थी, के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त तक़रीर की. इसी साल पृथक निर्वाचन पद्धति के अन्तर्गत केन्द्रीय विधान परिषद के भी आप सदस्य बनाए गए.

1912 : बांकीपुर में कांग्रेस का 27वां वार्षिक सम्मेलन का आयोजन हुआ और मौलाना मज़हरूल हक़ ‘मजलिस-ए-इस्तक़बालिया’ के अध्यक्ष नियुक्त हुए

1914 : कांग्रेस डेलीगेशन के सदस्य नियुक्त होकर लंदन गए.

1915 : बम्बई में महात्मा गांधी से मुलाक़ात हुई. मौलाना यहां मुसलमानों के एक जलसे की अध्यक्षता कर रहे थे और अपना अध्यक्षीय भाषण ज़ोरदार तरीक़े से दिया.

1915 : ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के अध्यक्ष बनाए गए.

1916 : लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन में एक क़रारदाद पेश करते हुए ज़बरदस्त तक़रीर की जो लोगों के दिलों पर उनकी अज़ीम शख़्सियत का नक़्श छोड़ गई. इस अधिवेशन में कांग्रेस-लीग समझौता कराने में मदद पहुंचाई.

16 दिसम्बर 1917 : प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भूतपूर्व सभापति बदरूद्दीन तैय्यबजी की भतीजी मुनिरा बेगम से निकाह.

1917 : पटना में गांधी जी के मेज़बान बने और उन्हें चम्पारण तक भेजने का बंदोबस्त किया. बाद में खुद भी चम्पारण पहुंच गए.

नवम्बर 1917 : सेकेट्री ऑफ़ स्टेट फॉर इंडिया, मिस्टर इडवीन एस. मॉटेशु से मिलें.

1918 : इम्पीरियल कौंसिल से अलग हुए और गांधी के साथ छपरा, मोतिहारी और चम्पारण के कई जगहों का दौरा किया और तक़रीरें की.

फ़रवरी 1918 : एक सभा में होम रूल लीग के अध्यक्ष चुने गए और कृष्ण वल्लभ सहाय इसके सचिव.

1919 : रॉलेट एक्ट के ख़िलाफ़ पटना, गया, मुज़फ़्फ़रपुर और छपरा में विरोध-प्रदर्शन के लिए कई जलसा आयोजित कराए. और इसी साल पश्चिमी पोशाक को जलाते हुए उसे न पहनने और सिर्फ परंपरागत पोशाक को धारण करने का निर्णय लिया. और असहयोग आन्दोलन में भाग लिया.

7 अप्रैल 1919 : पटना सिद्धि (क़िला घाट) की सभा की अध्यक्षता की और वहां निर्णय लिया गया कि अपमानजनक दिवस (तुर्की के विरूद्ध) में भाग लिया जाए. 

11 अप्रैल 1919 : सत्याग्रही बनने की शपथ ली.

18 अप्रैल 1919 : निर्वाचन सभा मोतिहारी में भाषण दिए.

5 मई 1919 : निर्वाचन सभा छपरा में भाषण दिए.

1920 : असहयोग आन्दोलन को अवाम तक पहुंचाने के लिए पूरे बिहार का दौरा किया और कौंसिल की उम्मीदवारी को त्याग दिया.

6 अप्रैल 1920 : पटना की सभा को सभापति के हैसियत से संबोधित किया.

8 अक्टूबर 1920 : गया की सभा को संबोधित किया.

10-11 अक्टूबर 1920 :  सी.एफ़. अंड्रिज की अध्यक्षता में बिहार विद्यार्थी सम्मेलन, डाल्टेनगंज में भाग लिया.

27 अक्टूबर 1920 : अखिल की सभा को संबोधित किया, जिसका आयोजन किसान सभा ने किया था और जिसकी अध्यक्षता वहां के स्थानीय ज़मींदार सूरज सिंह ने की.

29 अक्टूबर 1920 : पटना ज़िला के खुशरूपुर में भाषण दिए.

30 अक्टूबर 1920 : पटना ज़िला के इस्लामपुर में भाषण दिए.

1 नवम्बर 1920 : पटना ज़िला के बाढ़ में भाषण दिए.

4 नवम्बर 1920 : आरा की सभा में भाषण दिए.

6 नवम्बर 1920 : बख़्तियारपुर की सभा में भाषण दिए. और इसी दिन पटना ज़िला कांग्रेस कमिटी द्वारा गठित एक अवर संगठन कमिटी और राष्ट्रीय शिक्षा परिषद, बिहार के सदस्य बने.

11 दिसम्बर 1920 : सदाकत आश्रम की स्थापना की जो कुछ समय के लिए बिहार विद्यापीठ के प्रांगण में रहा और उस समय से बिहार प्रान्तीय कांग्रेस कमिटी का मुख्यालय रहा.

1921 : बिहार नेशनल कॉलेज और बिहार विद्या पीठ के चांसलर नियुक्त हुए. इसी साल बिहार राष्ट्रीय स्वयंसेवक दल के केन्द्रीय नियंत्रण बोर्ड, जो मुज़फ़्फ़रपुर में स्थित था, के सदस्य बने. इस साल आपने उड़ीसा और बिहार के छोटा नागपुर में काफ़ी दौरे किए.

21 अप्रैल 1921 : अपने जन्म स्थल बाहपुरा, पटना में भाषण दिए.

25 अप्रैल 1921 : राधोपुर में भाषण दिए. 

14 जून 1921 : उड़ीसा में कथूरी नदी के किनारे तुर्की की समस्या पर भाषण दिए.

19 जून 1921 : चक्रधर की सभा में भाषण दिए.

30 सितम्बर 1921 : अपने अंग्रेज़ी अख़बार ‘मदर लैंड’ की शुरूआत की. आप ही इसके सम्पादक के साथ-साथ मुद्रक और प्रकाशक की भी ज़िम्मेदारी अदा कर रहे थे. 

1922 : अपने अख़बार में सरकार के ख़िलाफ़ लिखने के अभियोग में धारा -500 व 501 के तहत तीन महीने की क़ैद या एक हज़ार जुर्माना की सज़ा हुई. जुर्माना देने से इंकार इंकार किया और तीन महीने जेल रहे. जबकि एक हज़ार रूपये इनके लिए कुछ भी नहीं था.

दिसम्बर 1922 : मदरलैंड के प्रबंधन एवं संपादकत्व से भी सन्यास ले लिया.

1924 : लखीसराय की सभा में बिहार प्रान्तीय सम्मेलन के सभापति चुने गए. इसी साल आपने बेतिया में आयोजित बिहार प्रान्तीय कांग्रेस कमिटी की सभा में भाग लिया.

28 जून 1924 : बग़ैर किसी मुक़ाबले के सारण ज़िला बोर्ड के गैर-सरकारी चेयरमैन नियुक्त हुए और 1927 तक इस पद पर बरक़रार रहें.

1926 : सारण ज़िला कांग्रेस बोर्ड छपरा के चेयरमैन बनाए गए. आपने अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जिसका सम्मेलन गुवाहटी में होना था, के सभापति पद को स्वीकार नहीं किया. साम्प्रदायिक तनाव और दंगों से इतने दुखी थे कि आपने अबुल कलाम आज़ाद व राजेन्द्र प्रसाद के अनुनय-विनय को भी नहीं माना.

Photo By : Afroz Alam Sahil

10 जून 1926 : साम्प्रदायिक तनाव का माहौल देखकर बिहार के बड़े कांग्रेसी नेताओं की एक कांफ्रेंस छपरा में आयोजित की. इस कांफ्रेंस में राजेन्द्र प्रसाद के अलावा कई बड़े नेता शामिल हुए.

1927 : सक्रिय राजनीति से सन्यास लेकर नियमतः अवकाश ग्रहण कर लिया.

1928 : सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने के बावजूद आप ज़मीन से जुड़े रहे. इस साल आपने ग्राम पंचायत का गठन किया, बीमार लोगों में दवा बांटते रहे. वैज्ञानकि कृषि और बागबानी की समस्याओं पर अपनी राय देते रहे.

1929 : पारालाइलिस की शिकायत 27 दिसम्बर को हुई.

2 जनवरी 1930 : इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए.

(साहिल इन दिनों मौलाना मज़हरूल हक़ और गांधी के संबंधों पर शोध कर रहे हैं)

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]