BeyondHeadlines News Desk
सिद्धार्थनगर : झारखंड में तबरेज़ अंसारी की भीड़ द्वारा की गई हत्या को लेकर यूपी के सिद्धार्थनगर ज़िले के डुमरियागंज में आयोजित कैंडल मार्च को पुलिस-प्रशासन ने रोक दिया. उप-ज़िलाधिकारी ने कहा कि किसी भी क़ीमत पर मार्च का आयोजन नहीं होने दिया जाएगा. जो मार्च निकालने की कोशिश करेंगे, उन्हें गिरफ्तार कर सख़्त कार्रवाई की जाएगी. तर्क दिया गया कि इस आयोजन से सौहार्द बिगड़ेगा.
आयोजकों ने कहा कि एक के बाद एक मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो रही हैं. इस कड़ी में तबरेज़ अंसारी की हत्या ताज़ा घटना है. दूसरी तमाम घटनाओं की तरह इस मामले में भी भीड़ ने उसका धर्म जानकर उसे गुनाहगार माना और उसकी हत्या की. लेकिन हत्यारी भीड़ पर किसी तरह की कोई लगाम नहीं कसी गई जो क़ानून ताक पर रखकर आपसी सौहार्द को दहशत के हवाले करती जा रही है. भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री अलीमुद्दीन अंसारी के लिंचिंग में शामिल रहे लोगों को माला पहना कर सम्मानित किया लेकिन इसे आपसी सौहार्द के लिए ख़तरा नहीं माना गया. यह सरकारी असंवेनशीलता की निशानी है कि आपसी सौहार्द के लिए उन्हें ख़तरा माना जा रहा है जो अंधी नफ़रत के चलते मारे गए बेक़सूर को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं.
आयोजकों ने इस स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि शांतिपूर्ण कार्यक्रम को आपसी सौहार्द बिगाड़ने से जोड़ना और उसे रोक देना लोकतंत्र के लिए भयावह है. कैंडल मार्च पर मनाही के बावत उप-ज़िलाधिकारी ने ऊपर से आए हाई अलर्ट का भी हवाला दिया. हालांकि इसका ख़ुलासा नहीं किया कि यह हाई अलर्ट कितने ऊपर से आया. अगर श्रद्धांजलि जैसे कार्यक्रम की भी इजाज़त न मिले तो यह लोकतंत्र के लिए बड़ा ख़तरा है.
नागरिक समाज की तरफ़ से महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन उप-ज़िलाधिकारी को सौंपा गया. राष्ट्रपति को भेजे गए पांच सूत्री ज्ञापन में कहा गया कि मॉब लिंचिंग के शिकार परिवार का पुर्नवास किया जाए, मॉब लिंचिंग में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई हो, दोषियों को सज़ा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाए, मॉब लिंचिंग करने वालों पर नियंत्रण के लिए कठोर क़ानून बनाया जाए, क़ानून बनने तक राष्ट्रपति अपने विशेषाधिकारों का प्रयोग करके अब तक देश में हुई मॉब लिंचिंग रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के कम से कम तीन जजों की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया जाए.