India

अब सपा को सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं रहा

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : आज 21 दिनों के बीत जाने के बाद भी खालिद के न्याय के लिए चल रहे संघर्ष की जायज मांगों पर सपा सरकार के अंदर नैतिक साहस नहीं है कि वो रिहाई मंच से नज़र मिला सके और उनके सवालों का जवाब दे सके. इससे स्पष्ट हो जाता है कि सपा हुकूमत जो मुसलमानों के वोट से बनी है उसे वजूद में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.

ये बातें आज खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार द्वारा एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी कर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर रिहाई मंच का 21 दिनों से चल रहे अनिश्चित कालीन धरना में दिल्ली से आए वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव सैय्यद कासिम रसूल इलियास ने रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने का समर्थन करते हुए कहा.

खालिद के चचा जहीर आलम फलाही ने कहा कि सपा सरकार ने खालिद की हत्या की जांच सीबीआई से कराने के लिए केन्द्र सरकार को आधे अधूरे दस्तावेज भेजे, तो वहीं दूसरी तरफ सीबीआई जो केन्द्र सरकार के अधीन है ने यह तथ्य छुपाते हुए कि उसे समस्त दस्तावेज नहीं मिले हैं. अखबारों में यह बयान जारी किया कि खालिद की हत्या स्वाभाविक लगती है और इसके पीछे कोई षडयंत्र नहीं है. इसलिए इस मामले की सीबीआई जांच नहीं हो सकती. इससे साबित होता कि सपा और कांग्रेस दोनों ही खालिद की हत्या की जांच सीबीआई से नहीं कराना चाहती. क्योकि अगर ऐसा होगा तो इसमें आतंकी घटनाओं और बेगुनाह मुस्लिम युवकों की गिरफ्तारियों में आईबी और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका उजागर हो जाएगी. SP Govt has no moral right to remain in power

कचहरी धमाकों के आरोप में बंद आज़मगढ़ के तारिक कासमी जिन्हें आरडी निमेष कमीशन ने भी निर्दोष बताया है के चचा हाफिज फैयाज आज़मी ने कहा कि जो शक्तियां निमेष आयोग की रिपोर्ट को दबा रही हैं वहीं लोग खालिद मुजाहिद के भी हत्या के जिम्मेदार है. और मेरे बच्चे तारिक कासमी और अन्य बेगुनाहों की रिहाई की राह में रुकावट भी हैं. ऐसे में हमारे बच्चों की जल्द से जल्द रिहाई कराई जाए, क्योंकि उनका जीवन जेल की चहारदिवारी में सुरक्षित नहीं है और जब निमेष कमीशन ने साफ कर दिया है कि तारिक खालिद की गिरफ्तारी फर्जी थी तो उन्हें छोड़ने में क्यों दिक्कत हो रही है.

धरने को संबोधित करते हुए भाकपा माले के वरिष्ठ नेता व इंकलाबी मुस्लिम कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सलीम ने कहा कि जिस तरह सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने पिछले दिनों मोदी के विकास के माडल की तारीफ की है, उससे साफ हो जाता है कि सपा और भाजपा में एक सियासी तालमेल हो गया है और सपा हुकूमत समाजवाद के नाम पर मोदीवाद का रास्ता अख्तियार कर चुकी है जहां अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे के नागरिक की हैसियत में पहुंचा दिया गया है.

तारिक़ व खालिद के बाराबंकी में अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि सीबीआई जांच से पहले ही उच्च स्तरीय जांच के नाम पर खालिद की हत्या से जुड़े सूबूतों को नष्ट किया जा रहा है और स्वाभाविक मौत दिखाने के लिए साक्ष्य गढे़ जा रहे हैं.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि खालिद समेत तमाम बेगुनाह जो आतंकवाद के नाम पर की जाने वाली सियासत के शिकार हैं को न्याय मिलने तक यह आंदोलन जारी रहेगा. सत्ता के दलालों को हम साफ कर देना चाहते है कि यह आंदोलन न बंटेगा, न रुकेगा, न बिकेगा और न टूटेगा…

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो0 सुलेमान ने कहा कि खालिद मुजाहिद राज्य प्रयोजित हिंसा का शिकार एक उत्पीडि़त नहीं बल्कि न्याय की लड़ाई का प्रतीक बन चुका है. अब खालिद मुजाहिद का मुद्दा एक व्यक्ति के न्याय का मामला न रहकर लोकतंत्र और कानून का शासन कायम करने की लड़ाई में तब्दील हो गया है.

कानपुर से आए हाजी इश्तियाक अहमद अंसारी ने कहा कि जिस एसी शर्मा ने कानपुर में 1992 दंगे करवाए उस पर गठित माथुर कमीशन की रिपोर्ट पिछले डेढ़ दशक से धूल फांक रही है, लेकिन अपने को सेक्युलर बताने वाली सपा हुकूमत ने उसे तो नहीं जारी किया उल्टे मुस्लिम विरोधी और दंगाई एसी शर्मा को डीजीपी तक बना दिया जिससे मुलायम का हिन्दुत्वादी चेहरा बेनकाब हो गया है.

वहीं कानपुर के फैज-ए-आम इंटर कालेज के प्रधानाध्यापक मोइनुल इस्लाम ने कहा कि खालिद के इंसाफ की लड़ाई जम्हूरियत को बचाने की लड़ाई है.

धरने के समर्थन में फतेहपुर से आईं महिला नेत्री फहमीदा बेगम ने कहा कि समाचार पत्रों के माध्यम से मुझे इस आंदोलन की जानकारी हुई और आज 21वें दिन धरने में शामिल होने इसलिए आई हूं कि खालिद हम सबका बच्चा था और उसके न्याय की जंग सभी माताओं की जंग हैं, और आज मैं आई हूं कल मेरी तरह सैकड़ों माताएं इस इंसाफ की जंग में शिरकत करेंगी.

रिहाई मंच के इलाहाबाद के प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि पिछले छह सालों से चल रहे रिहाई आंदोलन ने इस बात को साफ कर दिया है कि आतंकवाद एक सियासी मसला है और डराओ और राज करो की नीति को जड़ से उखाड़ फेंकने के हम बिल्कुल करीब पहुंच चुके हैं.

धरने के समर्थन में दिल्ली से आए पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता शिवदास प्रजापति ने कहा कि विभिन्न घटनाओं के बाद लोगों के गुस्से को शांत करने के लिए सरकारें आयोगों का गठन कर देती हैं, लेकिन उनकी सिफारिशो को न स्वीकार करती हैं और न ही रिपोर्ट को सार्वजनिक करती हैं जबकि इन रिपोर्टों पर जनता के करोड़ों रुपए खच होते हैं. मेरठ के हाशिमपुरा दंगे की जांच के लिए गठित ज्ञान प्रकाश कमेटी और मलयाना दंगे की जांच के लिए गठित गुलाम हुसैन कमेटी की रिपोर्टों पर दो दशक बाद भी अमल नहीं किया गया. ठीक आज वही राजनीति निमेष आयोग के साथ हो रही है.

धरने के समर्थन में जनवादी समता पार्टी के अध्यक्ष संजय विद्यार्थी ने कहा कि खालिद का सवाल किसी हिन्दू-मुसलमान का सवाल नहीं है. यह बात साफ हो गई है कि सरकारें किस तरह से बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को जेलों में सड़ा कर मार डालने पर आमादा हैं.

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