BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी, निमेष आयोग की रिपोर्ट पर तत्काल अमल करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने की मांग के साथ चल रहा रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना आज 41 वें दिन भी जारी रहा. आज उपवास पर पत्रकार प्रबुद्ध गौतम बैठे.
बाराबंकी से धरने के समर्थन में आए सूफी उबैदुर्रहमान ने कहा कि जुल्म जब हद से बढ़ जाता है तो उसके खिलाफ अवाम सड़कों पर उतर जाती है, खालिद की हत्या के बाद 41 दिन से चल रहा धरना इसकी तस्दीक कर रहा है. उन्होंने कहा कि मैं खालिद की हत्या के बाद 22 मई से मुसलसल चल रहे इस धरने में समय-समय पर शरीक हो रहा हूं और देख रहा हूं कौम के कुछ लोग जो अपने छोटे-मोटे हित साधने के लिए हूकूमतों की तरफदारी कर रहे थे वो सिर्फ चुप ही नहीं हुए हैं, बल्कि वो भी अब इस जुल्म के खिलाफ लब खोलने लगे हैं.
रमजान का पाक महीना सामने है और मजहब ए इस्लाम की तारीख ऐसे तमाम नजीरों से भरी पड़ी है जहां इंसाफ के लिए अवाम ने रोजे में भी भूखे-प्यासे रहकर जालिम हुकूमतों के खिलाफ लड़ी है. जम्हूरियत को बचाने के लिए हम फिर इस तारीख को विधानसभा के सामने दोहराएंगे.
धरने के समर्थन में आए डा0 अली अहमद कासमी ने कहा कि अगर सरकार यह सोच रही है कि रमजान शुरु होने पर अवाम धरने से उठ जाएगी तो वह मुगालते में हैं. इंसाफ की यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक खालिद के हत्यारे जेल नहीं भेजे जाते.
वहीं कानपुर से आए अहमद हुसैन ने कहा कि मैं कानपुर से सिर्फ खालिद के न्याय की इस लड़ाई में शामिल होने के लिए आता हूं, जिस तरीके से अवाम के सामने हुकूमत की जुल्म-ज्यादती सामने आ रही है उससे अवाम मे जो गुस्सा है वो सपा को बहुत महंगा पड़ेगा. 10 जुलाई को रिहाई मंच के धरने के 50वें दिन जब अवाम का हुजूम इस विधान सभा पर रमजान के पाक महीने में उतरेगा तो सरकार को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा.
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने कहा कि यह बड़े ही शर्म की बात है जिस आज़म खान के पास खालिद मुजाहिद की हत्या का जवाब नहीं है या जो सूबे में हुए 27 दंगों पर सरकार को क्लीनचिट देकर सपा के मुस्लिम विरोधी एजेंडे को आगे बढ़वाते हों, वह अख़बारों में एक-एक पेज़ का ऐड देकर खुद को वकार-ए-मिल्लत घोषित करवा रहे हैं. अपने को ऐसे खिताब दिलवाना और मायावती द्वारा अपनी मूर्ती बनवाकर खुद उसका अनावरण करवाना दोनों बराबर है.
उन्होंने कहा कि आज़म खान के शहर रामपुर में ही 31 दिसंबर 2007 की रात को सीआरपीएफ के जवानों ने आपस में शराब के नशे में गोलीबारी कर ली थी जिसे बसपा सरकार ने आतंकी घटना बताकर बहुत सारे मुस्लिम बेगुनाह युवकों को पकड़ा, लेकिन आज़म खान ने उन बेगुनाहों को छुड़वाने की कोशिश करना तो दूर आज तक इस मसले पर कभी जबान तक नहीं खोली.
दिबियापुर औरया में सपा के विधायक प्रदीप यादव व अन्य भू माफियाओं द्वारा कब्रिस्तान के कब्जे के खिलाफ पिछले 15 दिनों से अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे हाजी मसीद कादरी ने कहा कि एक तरफ सपा के सौ दिन पूरे होने पर आज़म खान ने बंड़े-बड़े इश्तिहार छपवाए थे कि उन्होंने कब्रिस्तानों की बाउंडरी करवाई है. पर सच यह है कि सपा के भू माफिया कब्रिस्तानों पर कब्जे कर रहे हैं. आखिर मैं इस बारिश के मौसम में पिछले 15 दिनों से विधान सभा पर बैठा हूं लेकिन मेरी सुनवाई आजतक क्यों नहीं हुई.
भारतीय एकता पार्टी के सैय्यद मोईद अहमद, पिछड़ा महासभा के शिवनारायण कुशवाहा ने कहा कि आज धरने का 41 वां दिन है और सरकार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है. जम्हूरियत में विधान सभा एक ऐसा जनता का मंच हैं जहां अवाम के मसायल पर उठने वाले सवालों पर सरकार जवाबदेह होती है. पर जिस तरीके से आरडी निमेष कमीशन पर एक्शन लेते हुए खालिद के हत्यारों को न गिरफ्तार करने के लिए सरकार विधान सभा का मानसून सत्र नहीं बुला रही है वो साबित करता है कि सपा सिर्फ खालिद के कत्ल की ही नहीं कसूरवार है बल्कि वो लोकतंत्र का भी कत्ल करने पर आमादा है.
धरने के समर्थन में बांदा से आए मौलाना रिजवान, मकसूद, मुराबाद से आए हफीजुर्रहमान, बरेली से आए वसी अहमद और मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारुकी ने कहा कि सरकार मानसून सत्र को नहीं बुला रही है ऐसे में हम महामहिम राज्यपाल से मांग करते हैं कि वो सरकार को निर्देशित करें कि वह मानसून सत्र बुलाए.
धरने का संचालन रिहाई मंच के नेता राजीव यादव ने किया. धरने में सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे, हाजी फहीम सिद्दीकी, जुबैर जौनपुरी, मो0 फैज, सोशलिस्ट फ्रंट के मो0 आफाक, इंडियन नेशनल लीग के मो0 समी, पीस पार्टी के रिजवान अहमद, फरीद खान, आसुद्दीन, डा0 जमील अहमद अंसारी, अलिफ अहमद, मो0 जाहिद, सलमा, एमएम खान, शुऐब, शाहनवाज आलम और राजीव यादव मौजूद रहे.