लूट की दास्तान —8…

Beyond Headlines
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अब तक आप ‘लूट की दास्तान’ की सात किस्त पढ़ चुके हैं. अब पढ़िए आगे…

(नोट: अगर आपने पहले की कोइ भी किस्त नहीं पढ़ी है तो पहले उसे पढ़ लीजिए…)

लूट की दास्तान —1…

लूट की दास्तान —2…

लूट की दास्तान —3…

लूट की दास्तान —4…

लूट की दास्तान —5…

लूट की दास्तान —6…

लूट की दास्तान —7…

मनोज जैन की मेहनत रंग लाई. आखिरकार इंटेलीजेंस ब्यूरो ने इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक में वर्षों से जारी हजारों करोड़ के मनीलांड्रिंग के गोरखधंधे को पकड़ ही लिया. जांच में बसपा सांसद अखिलेश दास व उनकी पत्नी अलका दास गुप्ता की गर्दन फंस गयी है.

आईबी के मुताबिक न सिर्फ करीब 8 हजार करोड़ की मनीलांड्रिंग को अंजाम दिया गया है, बल्कि यह पैसा ड्रग माफिया (जो चरस, गांजा व स्मैक समेत कई नशीले पदार्थो की तस्करी करते है) या आतंकवादियों के पास जाने की प्रबल संभावना है. जो एक गंभीर प्रश्न है.

Dr.-Akhilesh-Das-Gupta

पूरी रिपोर्ट भारत सरकार को भेजकर बैंकिंग सिस्टम को नोटिस भी जारी किया गया है. डायरेक्टर इंटेलीजेंस ब्यूरों से 28.6.2012 को लखनऊ के इंदिरानगर निवासी मनोज कुमार जैन ने शिकायत कर कहा था कि फर्जी खाता धारकों के जरिए लखनऊ के इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक में 8 हजार करोड़ की मनीलांड्रिंग की गयी है. जिसके बाद आईबी ने गुपचुप तरीके से जांच की तो यह सनसनीखेज खुलासा हुआ कि अरबों रुपया दिल्ली और पंजाब में ट्रांसफर हुआ.

लेकिन अब न सिर्फ पैसे का पता लग रहा है बल्कि खाताधारक भी गायब है. आईबी ने भारत सरकार को जो प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी है. उसके मुताबिक इंडियन मर्केंटाइल बैंक में 2000 से 2009 के बीच करीब 8 हजार करोड़ की मनीलांड्रिंग होने का अंदेशा है.

आईबी ने इस बेहद गंभीर मामले पर पूरे बैंकिंग सिस्टम को एक चेतावनी जारी करते हुए कहा कि जब यह मनीलांड्रिंग की जा रही थी तो क्या पूरा इंडियन बैंकिंग सिस्टम तमाशा देख रहा था. बैंक में जारी गंभीर वित्तीय अनिमितताओं पर आरबीआई ने पांच लाख का नोटिस तक लगाया था. लेकिन अपनी रिपोर्ट में आईबी ने आरबीआई को भी सरेबाजार नंगा करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है.

संदिग्ध खाताधारक मधु सिंह ने 72 लाख की बड़ी रकम कई खातों में 50-50 हजार के पे-आर्डरों के जरिए कैश करायी है. जबकि यह एक फर्जी खाता था. मनीलांड्रिंग का यह पूरा रैकेट 8 हजार करोड़ का बताया जा रहा है.

मधु सिंह का फर्जी खाता आरबीआई ने 2008 में पकड़ा गया है. जो एक गंभीर विषय है. आईबी ने यह भी कहा है कि हाल ही में यूएस अथॉरिटी ने एक बैंक में संदिग्ध मनीलांड्रिंग के बारे में गंभीर सूचनाएं देकर भारत सरकार को चेतावनी जारी की थी.

यह पैसा दवा माफिया को भेजे जाने के संकेत थे. इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक का मामला भी इसी तरह का है. जो पूरी भारतीय बैंकिंग प्रणाली को कटघरे में खड़ा करता है.

फिलहाल इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक में मनीलांड्रिंग के हजारों करोड़ दवा माफियाओं को गए या आतंकवादियों के पास, इसकी जानकारी फिलहाल खुफिया एजेंयिां जुटा रही है क्योंकि मनीलांड्रिंग के इस गंभीर मामले में आईबी भी अंधेरे में ही तीर चला रही है.

विस्तृत जांच के बाद ही पुख्ता तौर पर कुछ कहा जा सकता है. बैंक में अखिलेश दास गुप्ता व उनकी पत्नी अलका दास ने एक षडयंत्र के तहत बेनामी खातों व अपनी फर्मों के जरिए हजारों करोड़ की मनीलांड्रिंग को अंजाम दिया है. लेकिन अब जांच में दोनों की गर्दनें फंस गयी है.

खुद आरबीआई ने भी गुप्ता दंपत्ति के मनीलांड्रिंग के गोरखधंधे को पकड़ा है. मनीलांड्रिंग की भनक पड़ते ही आरबीआई ने मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक को 26.2.2012 को पत्र भेजकर कहा कि संदिग्ध लेनदेन आरबीआई के सर्कुलर यूबीडी.एनओ. 21/12.05.00/93 दिनांक 21 सितम्बर 93 का उल्लंघन है.

इसलिए फिनैंशिएल इंटेलिजेंस यूनिट नई दिल्ली से संपर्क करें. इसके बावजूद बैंक चुप्पी साधे रहा. प्रिटेंशन ऑफ मनीलांड्रिंग एक्ट 2002 के उल्लंघन पर आरबीआई ने पुनः एलके.यूबीडी. 1365/1203.381/2009-10 26 फरवरी को एक रिमांडर भेजा. लेकिन बैंक ने 31.3.2012 तक इसका भी पालन नहीं किया.

                                                                           –लूट की दास्तान आगे भी जारी रहेगी…

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