BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : पिछले 40 दिनों में उत्तर प्रदेश में 15 साम्प्रदायिक घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे समझा जा सकता है कि सपा हुकूमत में साम्प्रदायिकता फैलाना एक नीतिगत कार्यक्रम बन गया है. किसी भी राज्य में इस बड़े पैमाने पर आजाद भारत में कभी भी दंगे नहीं हुये हैं. आने वाली पीढि़यां सपा हुकूमत को सिर्फ और सिर्फ दंगे कराने के लिए याद करेंगी. इस साम्प्रदायिक और दंगायी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए सभी इंसाफ पसंद और लोकतंत्र पसंद लोगों को एक साथ आना होगा.
ये बातें आज रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने 108 दिनों से चल अनिश्चित कालीन धरने के दौरान कहा. आगे उन्होंने कहा कि आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों के मसले पर जिस तरह सपा सरकार ने चुनाव में गुमराह करने का काम किया उसे मुस्लिम समाज कभी माफ नहीं करेगा. मुस्लिम समाज को सपा के मुस्लिम विधायकों से पूछना चाहिए कि आतंकवाद के नाम पर कैद नौजवानों की रिहाई से वादा खिलाफी करने वाली सरकार के साथ आज भी वे क्यूं खड़े हैं और क्यों बेशरमी के साथ अपनी गाडि़यों पर दंगाई सरकार के 2014 के लक्ष्य का बैनर लगाए घूम रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सपा के मुस्लिम विधायकों और मंत्रियों को रिहाई मंच ने खुला खत लिख कर उनसे ये सवाल पूछे थे लेकिन एक भी सपा नेता ने उन सवालों का जवाब नहीं दिया, जिससे साबित होता है कि सपा के मुस्लिम नेता मुलायम और शिवपाल कुनबे के सिर्फ मोहरे भर हैं.
धरने को सम्बोधित करते हुए मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारूकी और भारतीय एकता पार्टी के सैय्यद मोईद अहमद ने कहा कि सपा को पिछले 20 साल में मुस्लिमों के हितों में किये गये कामों का विवरण देना चाहिए. उन्हें बताना चाहिए कि उन्होंने बाबरी मस्जिद के गिराए जाने की साजिश की जानकारी होने के बावजूद उसे बचाने के लिए क्यों कुछ नहीं किया, बाबरी मस्जिद विध्वंस के नेताओं पर दर्ज मुक़दमे कमजोर करने की कोशिशें उन्होंने क्यों की, कल्याण सिंह से हाथ क्यों मिलाया उनके बेटे को सदन में क्यों पहुंचाया, अमरीका से न्यूक्लीयर डील क्यों कराया, शिवपाल यादव को बार-बार इजरायल का दौरा क्यों कराया, सूबे के एटीएस अधिकारियों को इजरायल और अमरीका ट्रेनिंग के लिए क्यों भेजा?
उन्होंने कहा कि सपा का यादव-मुस्लिम समीकरण अब टूट चुका है. 100 से ज्यादा हुए दंगों में सपा के नेताओं की मिलीभगत से साबित हो गया है कि सपा अब खुलकर संघ परिवार के एजेंडे पर काम कर रही है. जिसका खामियाजा उसे 2014 में भुगतना पडे़गा. रिहाई मंच इन्हीं सवालों को अवाम के बीच ले जा रहा है और इन्हीं सवालों पर 16 सितम्बर से विधान सभा के सामने डेरा डालो-घेरा डालो का आयोजन कर रहा है.
हारिस सिद्दीकी और पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक़ मलिक ने कहा कि अगर मानसून सत्र में सपा सरकार ने निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट नहीं लाती है और दोषी पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित नहीं करती है तो सदन नहीं चलने दिया जाएगा. रिहाई मंच इसकी चेतावनी के लिए 15 सितम्बर को विधान सभा के सामने रिहाई मशाल मार्च निकालेगा.
इस मौके पत्रकार शिवदास प्रजापति, हरे राम मिश्र और गुफरान सिद्दीकी ने कहा जिस तरीके से चाहे वो मरहूम मौलाना खालिद, तारिक कासमी हों या कश्मीर के गुलजार वानी, सज्जादुर्रहमान वानी या अख्तर वानी हों इन जैसे हजारों बेगुनाह लड़के जेलों में इसलिए बंद हैं कि चाहे वह देवबंद का दारूल उलूम देवबंद हो आज़मगढ़ का जमातुल फलाह या फिर लखनऊ का नदवा हो इन सभी शिक्षण संस्थानों पर सरकारें और आईबी मदरसा कम आतंकवाद का सेंटर ज्यादा मानते हैं.
और बाटला हाऊस के बाद जिस तरीके से शिबली नेशनल कालेज और आज़मगढ़ के मदरसों पर निशाना साधते हुए पूरे मुस्लिम समुदाय को इस कदर बदनाम कर दिया कि लोग आज़मगढ़ का नाम लेने से डरने लगे. ऐसे वक्त में इन मदरसों और शिक्षण संस्थानों की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वे रिहाई मंच द्वारा चलाए जाने वाले आंदोलन के घेरा डालो-डेरा डालो अभियान में ज्यादा से ज्यादा शामिल हों.